दर्पण
शनिवार, 23 अप्रैल 2011
साहिल पे समंदर के किनारे नहीं आते - बशीर बद्र | Jakhira, Shayari Collection
साहिल पे समंदर के किनारे नहीं आते - बशीर बद्र | Jakhira, Shayari Collection
1 टिप्पणी:
Dr Varsha Singh
2 मई 2011 को 12:17 pm बजे
बशीर बद्र जी का शेर और समन्दर......बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
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बशीर बद्र जी का शेर और समन्दर......बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
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