अक्सर तन्हाइयां मुझसे पूछती है
क्या मिला तुझको
वफा करके
हो पूरी हर
ख्वाहिश ये
है
जनून
उसने पाई हर
खुशी और
सकून
क्या मिला उसको
मुझसे जफा
करके
अक्सर तन्हाइयां
........................
दर्द है
हर
जगह गम
फैला है
हर
सूं
मैने पाए है
जख्मे जिगर
के
आंसू
क्या मिला मुझे
खुद को
फना करके
अक्सर तन्हाइयां
..........................
सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंसुंदर !
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ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत का 'ग्लेडस्टोन' और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंदर्दभरी।
जवाब देंहटाएंप्रएसी दर्द भरा.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।