शनिवार, 14 दिसंबर 2013

दिल लगी


किया है प्यार हमने जिसे जिन्दगी की तरह
वो आशना भी मिला हमे अजनबी की तरह
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किये जिसके गम ख़ुशी कि तरह
बढ़ा कर प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल लगी की तरह
कभी सोचा था हमने 'कतील' उसके लिए
करेगा वो भी सितम हमपे हर किसी की तरह

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (१७ दिसम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कैसे कैसे लोग ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  2. कतील साहब की लाजवाब गज़ल के लिए शुक्रिया ...

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  3. AURAT NAM HI LOVE & SECRIFISE HAI, SO SHE IS LOVER & WIFE.

    NO AGREE WITH UNDER NOTED CONTENTS:

    KOAN HO AUR KYO HOO !

    SUKH VARKASH HOO
    PANI KAI LIYEA KHOJ RAHA HOO
    ZAMEEN, KYA TUM HOO?

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