शनिवार, 14 दिसंबर 2013

दिल लगी


किया है प्यार हमने जिसे जिन्दगी की तरह
वो आशना भी मिला हमे अजनबी की तरह
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किये जिसके गम ख़ुशी कि तरह
बढ़ा कर प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल लगी की तरह
कभी सोचा था हमने 'कतील' उसके लिए
करेगा वो भी सितम हमपे हर किसी की तरह

सोमवार, 13 मई 2013

चंद शेर

रोज  होते  है  हादसे  दिल  के
जख्म कब तक कोई गिने दिल के
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यहाँ किसी से उम्मीदे वफा न रख नादाँ
यही समझ ले कि ये दौर पत्थरों का है
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ये जख्मे इश्क है कोशिश करो हरा ही रहे
कसक नही जायगी अगर ये भर भी गया
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उड़ते है वो हमेशा आसान सी हवा में
चालाक परिंदों के कभी पर नही कटते
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मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

चंद शेर



लफ्ज़  पढना  तो  मेरी  आदत  है
तेरा  चेहरा  किताब  सा  क्यों  है
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वफा के बदले में मांगी जो मैने उनसे वफा
कहा उन्होंने कि पत्थर पे गुल नही खिलते
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रात देखी है पिघलती हुई जंजीर कोई
मुझे बतायेगा इस ख्वाब की ताबीर कोई
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ना जाने क्यूँ हर इम्तिहान के लिए
जिन्दगी  को  हमारा  पता  याद  है
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                                              अनजान शायर





सोमवार, 22 अप्रैल 2013

माँ,बहन,बीवी,बेटी



औरत तुम भी अजीब शय हो 
तुम्हारे हजारों रूप है 
किसी रूप मे माँ,बहन,बीवी,बेटी 
तुम्हारे अंदर इतनी ममता भरी है की 
तुम ज़िंदगी भर मर्द पर 
अपनी ममता निछावर करती हो 
मगर मर्द आखिर मर्द होता है 
तुम्हें हर रूप मे तड़पने वाला 
सिसकने वाला......बेएतबार

मंगलवार, 5 मार्च 2013

मैने माना

दूर तक पसरी ख़ामोशी,ना कोई साथ है,ना किसी साथ की ख्वाहिस........इस वीरान तन्हाई में भी,तुम्हारी यादो का काफिला साथ है...... तुम पास ना सही,तुम्हारे होने का एहसास तो साथ है.....ऐसा ही तुम्हारा एहसास जो मुझे भीड़ में भी तन्हा कर जाता है और कभी तन्हाई में भी महफिल सजा जाता है......सच,बड़ा प्यारा एहसास है ये.........तुम्हारे प्यार का एहसास......वो पाकीजगी और मुझको चाहना इतनी शिद्धत से........की हर तारीख प्यार के नाम हो और हर मौसम इस एहसास से भरा हो..........



   माना
तेरी मुहब्बत को
देर से जाना है
तेरे एहसास को
देर से पहचाना है
मगर जानां!
मुझे इतना यकीन है
कि मुहब्बत पलटकर आने वालो को
लौटाया नहीं करती
बल्कि.......गले से लगा लेती है
तो सुनो,मै लौट आया हूँ  

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

दर्द


  
रीमा  को आज फिर रसौली का दर्द उठा है डाक्टर ने आपरेशन को कहा है ......रीमा लेटी है उठ नही पा रही है, बेटी ने घर का काम सम्हाल लिया है ,राजन (रीमा का पति) लैपटॉप पर फेसबुक लगा कर बैठे है ....बेटी ने रीमा को दर्द की दवा दी है ,रीमा दवा खा कर एक बार पति की तरफ देखती है वो आपने लेपटोप मे मस्त है रीमा धीरे से आँख बंद कर लेट जाती है .....दवा खाई है पर आराम नही है कुछ देर बाद पति ऑफिस जाने के लिए तैयार होते है बेटी खाना देती है ,और वो जल्दी जल्दी खा कर ऑफिस चले जाते है ,रीमा आपने दर्द को दबाए चुप चाप आँख बंद किए पड़ी है ......ऑफिस घर के पास है इसलिय पैदल ही चले जाते है और रोज दोपहर के भोजन पर घर आजाते है ......रोज की तरह दोपहर को आज भी घर आए एक चक्कर बेडरूम का लगा कर खाना खा कर चलेगाए ,रीमा अभी भी दर्द मे पड़ी है बेटी फिर से माँ को एक गोली दर्द की देती है पर दर्द मे कोई आराम नही है रीमा दर्द को सहते हुये आँख बंद किए पड़ी है दर्द मे कुछ आराम हो तो आँख भी लगे ......शाम को पति ऑफिस से आते है रीमा वैसे ही आँख बंद किए लेटी है पति की आहट पर आँख खोल के देखती है ,पति उसे देखता है और लेपटोप उठा कर दूसरे कमरे मे चला जाता है ,बेटी खाना बनती है ,पापा को खाना खिलाती है माँ के पास आती है माँ को जबर्दस्ती एक रोटी खिलाती है और दर्द की दो गोली देती है की, अब आराम मिल जाएगा माँ दवा खा कर फिर आँख बंद कर लेती है ,करीब दो तीन घंटे बाद पति रूम मे आता है अपने लेपटोप के साथ ॥रीमा आहट पर आँख खोल कर देखती है ....पति बगल मे ही लेपटोप लगा कर बैठ जाता है रीमा देखती रहती है ,एक घंटा दो घंटा फिर आँख बंद कर लेती है .....कुछ देर बाद पति को नींद आने लगती है वो लेपटोप बंद करता है बाथरूम जाने के लिए उठता है ,रीमा फिर आँख खोलती है ....पति कहता है सारा दिन सोती रहती हो फिर भी नींद आजती है ?....रीमा कुछ देर पति को देखती फिर हाँ कह कर आँख बंद कर लेती है पति लाइट बुझा कर सो जाता और रीमा अंधेरे मे आँख खोल .....गोली शायद असर कर रही है दर्द कम हो रहा है ....पर ये दूसरा दर्द नही सोने देगा ......

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

दर्द और दिल


जब दिल टूट जाये तो पूरा बदन दर्द का फोड़ा बन जाता है जब विश्वास टूटे तो विश्वास की टूटी किरचिया कैसे आँख फोडती है ?जब प्यार का असल रूप दिख जाता है तो सारा यकीन कैसे दुम दबा कर भाग जाता है?........हँसी की सूरत में सदा होठो पर सजा प्यार जब आँख का आंसू बन जाये तो दर्द, यूँही लम्हा लम्हा इंसान को रुलाता है, आंसू थमने का नाम ही नहीं लेते... जब विश्वास कि माला टूटती है तो उसके मोती इसी तरह बिखर जाते है.........कुछ पाने से पहले खोना तकलीफ देता है मगर पाकर खो देना बहुत ज्यादा तकलीफदेह होता है......ख्वाहिशे मारकर जिन्दा रहना आसान.. पर टूटे दिल के साथ, जिंदगी जीना मुश्किल होता है............



किर्ची किर्ची होकर बिखरे मेरे एहसासात
कतरा कतरा आंख से टपके मेरे सब जज्बात
मेरे उजड़े चमन को खिलाने अब कौन आएगा
जब माली खुद ही उजाड़ दे डाल और पात
फूलो को मसालों इन में भी होती है जान
फूल तो प्यार की होती है इक सौगात
सुखी लकड़ी जल उठती है चिंगारी से भी
क्यों दोहराते रहते हो तुम माजी के हालात