सोमवार, 2 मई 2011

चाँद खिड़की में अकेला होगा - बशीर बद्र |



शाम से रास्ता तकता होगा
चाँद खिड़की में अकेला होगा

धुप की शाख पे तन्हा-तन्हा
वो मोहब्बत का परिंदा होगा

नींद में डूबी महकती साँसे
ख्वाब में फुल सा चेहरा होगा

मुस्कुराता हुआ झिलमिल आसू
तेरी रहमत का फ़रिश्ता होगा
                                   - बशीर बद्र  
http://www.jakhira.com/2011/01/blog-post_11.html

4 टिप्‍पणियां:

  1. मुस्कुराता हुआ झिलमिल आसू
    तेरी रहमत का फ़रिश्ता होगा


    चांद को लेकर एक खूबसूरत प्रस्तुति.आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आइयेगा.आपका हार्दिक स्वागत है.

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  2. आभार बशीर बद्र साहब को पढ़वाने का....


    शायद वर्तनी की त्रुटि हो गई है: फुल सा चेहरा= फूल सा चेहरा.

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  3. बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
    बहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
    पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
    धन्यवाद्
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

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