रीमा को आज फिर रसौली का दर्द उठा है डाक्टर ने आपरेशन को कहा है ......रीमा
लेटी है उठ नही पा रही है, बेटी ने घर का काम सम्हाल
लिया है ,राजन (रीमा का पति) लैपटॉप पर फेसबुक लगा कर बैठे है
....बेटी ने रीमा को दर्द की दवा दी है ,रीमा दवा खा कर एक बार
पति की तरफ देखती है वो आपने लेपटोप मे मस्त है रीमा धीरे से आँख बंद कर लेट जाती है
.....दवा खाई है पर आराम नही है कुछ देर बाद पति ऑफिस जाने के लिए तैयार होते है बेटी
खाना देती है ,और वो जल्दी जल्दी खा कर ऑफिस चले जाते है ,रीमा आपने दर्द को दबाए चुप चाप आँख बंद किए पड़ी है ......ऑफिस घर के पास है
इसलिय पैदल ही चले जाते है और रोज दोपहर के भोजन पर घर आजाते है ......रोज की तरह दोपहर
को आज भी घर आए एक चक्कर बेडरूम का लगा कर खाना खा कर चलेगाए ,रीमा अभी भी दर्द मे पड़ी है बेटी फिर से माँ को एक गोली दर्द की देती है पर
दर्द मे कोई आराम नही है रीमा दर्द को सहते हुये आँख बंद किए पड़ी है दर्द मे कुछ आराम
हो तो आँख भी लगे ......शाम को पति ऑफिस से आते है रीमा वैसे ही आँख बंद किए लेटी है
पति की आहट पर आँख खोल के देखती है ,पति उसे देखता है और लेपटोप
उठा कर दूसरे कमरे मे चला जाता है ,बेटी खाना बनती है ,पापा को खाना खिलाती है माँ के पास आती है माँ को जबर्दस्ती एक रोटी खिलाती
है और दर्द की दो गोली देती है की, अब आराम मिल जाएगा माँ दवा
खा कर फिर आँख बंद कर लेती है ,करीब दो तीन घंटे बाद पति रूम
मे आता है अपने लेपटोप के साथ ॥रीमा आहट पर आँख खोल कर देखती है ....पति बगल मे ही
लेपटोप लगा कर बैठ जाता है रीमा देखती रहती है ,एक घंटा दो घंटा
फिर आँख बंद कर लेती है .....कुछ देर बाद पति को नींद आने लगती
है वो लेपटोप बंद करता है बाथरूम जाने के लिए उठता है ,रीमा फिर
आँख खोलती है ....पति कहता है सारा दिन सोती रहती हो फिर भी नींद आजती है ?....रीमा कुछ देर पति को देखती फिर हाँ कह कर आँख बंद कर लेती है पति लाइट बुझा
कर सो जाता और रीमा अंधेरे मे आँख खोल .....गोली शायद असर कर रही है दर्द कम हो रहा
है ....पर ये दूसरा दर्द नही सोने देगा ......
जीवन का सच /बहुत भाव पूर्ण
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ....ज्योति जी
जवाब देंहटाएंबहुत पास फिर भी अंजान
जवाब देंहटाएंदर्द को क्यूँ लेते सङ्ग्यान
दर्द बिन बताए कौन सुनता है ...मार्मिक कहानी
जवाब देंहटाएंउपासना जी ....ये एक विडम्बना ही तो है की औरत बिन बताए ही हर दर्द को समझ लेती है ....और पुरुष दर्द मे तड़पता देख भी नही समझ पता
जवाब देंहटाएंबहुत सहज शब्दों से सजी भावपूर्ण रचना | बधाई |
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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दर्द..ताउम्र भले,,सीने से लगा रहता हैं !
जवाब देंहटाएंजख्म कैसे भी हो हर हाल में भर जाते हैं !!
दिल मैं उतरें तो,, शायद कोई बात बने !
लोग ऐसे हैं की,, नजरों से उतर जाते हैं !!
..........दफ्न होती संवेदनाओं की सिलसिलेदारी
गहन भाव छिपे हैं इस रचना में |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है ......
जवाब देंहटाएंसादर , आपकी बहतरीन प्रस्तुती
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
ये कैसी मोहब्बत है
बहुत ही भावपूर्ण रचना,आभार. आपका ब्लॉग "ब्लॉग कलश" पर शोभायमान है,पधारें.
जवाब देंहटाएं"ब्लॉग कलश"
भूली-बिसरी यादें
insensitive life sometimes passes like that only
जवाब देंहटाएंdil chhu gaee ye rachna ,aise hi likhti rhen ,aaj shayd pahli baar aap ke blog par aaee hun ,acha lga yhan aakr
जवाब देंहटाएंतकरीबन हर स्त्री को इस दर्द से गुज़ारना होता है...
जवाब देंहटाएंपुरुषों की संवेदना अपनी पत्नी के लिए कम ही देखने मिलती है...
बहुत अच्छी पोस्ट..
सादर
अनु
bahut sundar ji
जवाब देंहटाएंयही संवेदनहीनता तो दर्द को कभी ख़त्म नहीं होने देती है । पुरुष प्रेम में ही संवेदनाये प्राप्त करता है और सहज देवत्व का गुण उसमे आ जाता है । अनीता जी आपने -बहुत सजीव चित्रण किया है अपने शब्दों द्वारा -
जवाब देंहटाएंha.....to....dard.....
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