माँ,बहन,बीवी,बेटी
औरत तुम भी अजीब शय हो
तुम्हारे हजारों रूप है
किसी रूप मे माँ,बहन,बीवी,बेटी
तुम्हारे अंदर इतनी ममता भरी है की
तुम ज़िंदगी भर मर्द पर
अपनी ममता निछावर करती हो
मगर मर्द आखिर मर्द होता है
तुम्हें हर रूप मे तड़पने वाला
सिसकने वाला......बेएतबार
आज की ब्लॉग बुलेटिन भारत की 'ह्यूमन कंप्यूटर' - शकुंतला देवी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंlatest post सजा कैसा हो ?
latest post तुम अनन्त
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मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंbeetbar , sahi kha , mager fir bhi chote or dhoka khane bad bhi her roop or rishte per mamta lutati he oret
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